लेखनी प्रतियोगिता -22-Jun-2023
विषय-स्वैच्छिक
शीर्षक- बोलो मेरे प्रिय??
कितने शब्दों में समेटूँ,
गागर में सागर भर दूॅ ,
बोलो प्रिय मेरे??
तेरी प्रशंसा कैसे करूँ!
तेरे साथ होकर भी अकेले थे,
एकाकी लक्ष्य पर चलते थे,
तेरी उपस्थिति लुभावन सी प्रतीत,
पर हमेशा दिया कष्टों का प्रीत!
मसल कर मसलों को,
मसलों की दुहाई देते है,
मेरे प्रिय अब तो,
मसलों का हल ढूंढते है !
महफ़ूज़ नहीं था शायद,
मेरे इश्क में दिल उनका,
चिन्तन नहीं चिंता की,
और सुरक्षित पनाह लिया!
अब तो मजे के दिन उनके,
हम यहाँ यादों में तड़पें....!
आजाद कर दिया
अपने से प्रिय को,
नहीं चाहिए था,
अथाह प्रेम सागर उनको |
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है |
"प्रतिभा पाण्डेय" चेन्नई
22/6/2023
Punam verma
23-Jun-2023 09:21 AM
Very nice
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Abhinav ji
23-Jun-2023 07:43 AM
Very nice
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Madhumita
23-Jun-2023 12:48 AM
Nice 👍🏼
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